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इस करवाचौथ पर क्या करे
26 October, 2018
इस करवाचौथ पर क्या करे
करवा चौथ
इस
बार महिलाओं का त्यौहार करवा चौथ 27
अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस बार का करवा चौथ कुछ मायनों में
पहले के करवा चौथों से अलग और खास है। वजह है इस बार बन रहा अमृत सिद्धि और
सर्वार्थ सिद्धि योग। पंडित यज्ञदत्त शर्मा ने बताया कि ये योग 27 साल बाद बन रहा है। ये दुर्लभ योग इस बार को करवा चौथ के व्रत
और त्यौहार को बेहद खास बनाएगा। व्रत रखने के लिए यह उपयुक्त दिन होगा।
करवा
चौथ पर अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि का विशेष संयोग इसके बाद 16 साल बाद आएगा। इससे पहले यह संयोग 1991 में बना था। ऐसे में इस बार का करवा चौथ बेहद खास होने वाला
है। सालों बाद व्रती महिलाओं को विशेष फल मिलने वाला है।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी
को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए
पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर उसे अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। यह
व्रत अच्छे गृहस्थ जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
महान संत कवि तुलसीदास ने श्रीरामचरित
मानस के अयोध्या कांड की इन महत्वपूर्ण पंक्तियों में पति-पत्नी के पावन संबंधों
की सार्थक व्याख्या की है। सीता जी वन जा रहे भगवान राम से कहती हैं- माता, पिता, बहन, प्यारा भाई, प्यारा परिवार,
मित्रों का समुदाय, सास,ससुर, गुरु, स्वजन, सहायक और सुंदर सुशील और सुख देने वाला
पुत्र, हे नाथ! जहां तक स्नेह और नाते हैं, पति के बिना स्त्री को सभी सूर्य से बढ़ कर तपाने वाले हैं।
शरीर, धन, घर, पृथ्वी, नगर और राज्य, पति के बिना स्त्री के लिए यह सब शोक का समाज है।
करवा चौथ उत्तर भारतीय स्त्रियों के लिए एक बेहद ही ख़ास
त्योहार है। ये व्रत सिर्फ धार्मिक कारणों और मान्यताओं के लिए ही नहीं बल्कि
पति-पत्नी के आपसी प्रेम और समर्पण का भी त्योहार है। करवा चौथ पति की लंबी आयु के
लिए रखा जाने वाला व्रत है। मान्यताओं के मुताबिक और छांदोग्य उपनिषद के अनुसार
करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से
सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन के सभी तरह के कष्टों का निवारण तो होता ही
है साथ ही लंबी उम्र भी प्राप्त होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को
अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री
रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी
चाहिए।
1. बहू को सरगी देना है बेहद ज़रूरी
ससुराल से मिलने वाली सरगी करवा
चौथ के व्रत का सबसे ज़रूरी हिस्सा होती है। बता दें की व्रत शुरू होने से पहले हर
सास अपनी बहू को कुछ मिठाइयां, कपड़े और
श्रृंगार का सामान देती हैं, इसे ही
सरगी कहा जाता है। करवा चौथ के दिन सूर्योदय होने से पहले सुबह लगभग चार बजे के
आस-पास महिलाएं इसी सरगी को खाकर अपने व्रत की शुरुआत करती हैं।
2. बेटी के घर बाया भेजती हैं मां
बता दें कि जिस तरह तरह सास का
अपनी बहू को देती है उसी तरह बाया, मां और
बेटी से जुड़ी रस्म है। हर करवा चौथ पर शाम को चौथ माता की पूजा शुरू होने से पहले
हर मां अपनी बेटी के घर कुछ मिठाइयां, तोहफे और
ड्राई फ्रूट्स भेजती है। इसे बाया कहा जाता है। ध्यान रखें बाया पूजा शुरू होने से
पहले ही पहुंचाया जाना शुभ होता है।
3. कथा सुनना भी है ज़रूरी
करवा चौथ में जितना महत्व व्रत
और पूजा का है उतना ही महत्व करवा चौथ की कथा सुनने का भी है। अक्सर ये देखा जाता
है कि कई महिलाओं को कथा सुनने में रुचि नहीं होती और इसी वजह से वे कथा में अपना
ध्यान नहीं लगातीं। हालांकि बिना कथा सुने आपका इस व्रत को रखने का कोई फायदा नहीं
है। इस त्योहार में जितना जरूरी व्रत और पूजा करना होता है, उतना ही जरूरी कथा सुनना भी होता है। इसलिए सभी महिलाओं को
एकचित्त होकर कथा सुननी चाहिए और अगर कथा नहीं सुननी है तो व्रत से भी परहेज करना
चाहिए।
4. करवा चौथ के गीत भी गाएं
करवा चौथ की पूजा के लिए आस-पास
की सभी महिलाएं एक जगह मिलकर व्रत कथा सुनती हैं और पूजा करती हैं। ऐसे में पूजा
के समय ही करवा चौथ के गीत और भजन गाए जाते हैं, इनमें हिस्सा लेना भी कथा सुनने के जितना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा
करने से वातावरण शुद्ध होता है और पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है।
5. लाल साड़ी या लहंगा ही पहनें
ये तो सभी जानते हैं कि करवा
चौथ का व्रत महिलाओं के वैवाहिक जीवन से जुड़ा होता है। इसलिए ये कहा जाता है कि
महिलाओं को इस दिन अपनी शादी का जोड़ा पहनना चाहिए। अगर किसी के पास शादी का जोड़ा
नहीं है तो उसे लाल रंग की साड़ी या लहंगा पहनना चाहिए। असल में मान्यताओं के
मुताबिक लाल रंग को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ के दिन जितना ज्यादा
से ज्यादा हो सके इसी रंग का प्रयोग करना चाहिए।
करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार का महत्व
करवा चौथ
के दिन सौभाग्यशाली महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। यह
त्योहार पंजाब,
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन महिलाएं सज संवरकर चंद्रमा की पूजा करती हैं। करवा चौथ के दिन सोलह
श्रृंगार का विशेष महत्व होता है। कहा जाता
है कि इस दिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करके ही पूजा में शामिल होना चाहिए। इनमें
मेंहदी, चूड़िया, मांग टीका के अलावा और भी चीजों को सोलह श्रृंगार में शामिल
किया है। आइए आपको बताते हैं सोलह श्रृंगार में किन-किन श्रृंगार को शामिल किया
गया है।
सिंदूर:
माथे पर सिंदूर पति की लंबी उम्र की निशानी माना जाता है।
मंगलसूत्र: ये भी सुहागन होने
का सूचक है।
मांग टीका: मांग टीका वैसे तो
आभूषण है लेकिन इसे भी सोलह में शामिल किया गया है।
बिंदिया: माथे पर लगी बिंदिया
भी सुहागन के सोलह श्रृंगार में शामिल है।
काजल: काजल काली नजरों से बचाने
के लिए लगाया जाता है।
नथनी: नाक में पहनी जाने वाली
नथनी भी सोलह श्रृंगार में शामिल है।
कर्णफूल : ईयर रिंग भी सोलह
श्रृंगार में गिने जाते हैं।
मेंहदी : करवा चौथ पर हाथों में
मेहंदी जरूर लगानी चाहिए।
कंगन या चूड़ी: हाथों में लाल
और हरी चूड़ियां भी सोलह श्रृंगार में शामिल हैं।
लाल रंग के वस्त्र भी 16वां सबसे महत्वपूर्ण श्रृंगार में गिने जाते हैं।
बिछिया : दोनों पांवों की बीच
की तीन उंगलियो में सुहागन स्त्रियां बिछिया पहनती हैं।
पायल : घर की लक्ष्मी के लिए
पायल को बेहद शुभ माना जाता है.
कमरबंद या तगड़ी : सुहागन के
सोलह श्रृंगार में शामिल है।
अंगूठी : अंगूठी को भी सुहाग के
लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
बाजूबंद : बाजूबंद वैसे तो
आभूषण है लेकिन इसे भी सोलह में शामिल किया गया है।
गजरा : फूलों का महकता गजरा भी
सोलह श्रृंगार में शामिल है।
पूजा का तरीका और पूजन मंत्र
करवा चौथ
का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में किया जाता है। महिलाएं पति
के मंगल एवं दीघार्यु की कामना के लिए निर्जला रहकर इस व्रत को रखती हैं। चंद्रमा
को अर्घ्य देकर व्रत पूरा माना जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं करवा चौथ के दिन
चांद दिखने का समय पूजा का तरीका और पूजन मंत्र
ऐसे करें पूजा
- सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर उपरोक्त
वर्णित सभी देवों को स्थापित करें।
- 10 अथवा 13 करवे अपनी सामर्थ्य अनुसार स्थापित करें।
- शुद्ध घी में आटे को सेंककर
उसमें शक्कर मिलाकर मोदक बनाएं।
- चंद्रमा के उदित हो जाने पर
चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य प्रदान करें।
पूजन विधि: बालू
अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी
कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें।
मूर्ति के अभाव में सुपारी पर कलावा बांधकर देवता की भावना करके स्थापित करें।
पूजन मंत्र
ॐ उमा दिव्या नम: से पार्वती का, ॐ नमः शिवाय से शिव का, ॐ
षण्मुखाय नमः से कार्तिकेय का, ॐ गणेशाय
नमः से गणेश का और ॐ सोमाय नमः से चंद्रमा का पूजन करें।
करवा चौथ मुहूर्त
करवा चौथ पर महिलाएं पूरे दिन
व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर उसे अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। करवा चौथ
मुहूर्त करवा चौथ पूजा मुहूर्त: 5:40 से 6:47 तक करवा चौथ चंद्रोदय समय 7 बजकर 55 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय समय
7 बजकर 55 मिनट
Contact:-
Dr. Yagyadutt Sharma
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